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उत्तराखंड के बंजर  पड़े खतों को आबाद कराने को लेकर  मंत्री प्रसाद नैथानी अधिकारियों के साथ की बैठक 

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उत्तराखंड के बंजर  पड़े खतों को आबाद कराने को लेकर  मंत्री प्रसाद नैथानी अधिकारियों के साथ की बैठक 

ब्यूरो रिपोर्ट

जगदीशिला यात्रा के संयोजक पूर्व कैबिनेट मंत्री कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता मंत्री प्रसाद नैथानी ने कृषि सचिव एसएन पांडे निदेशक कृषि, निदेशक हॉर्टिकल्चर के साथ में सचिवालय में महत्वपूर्ण बैठक की।

 

प्रदेश में बंजर पड़े खेतों को आबाद करने के लिए चर्चा की गई मंत्री प्रसाद मैथानी ने अधिकारियों के सामने बंजर पड़े खेतों को आबाद करने को लेकर क्रमबद्ध तरीके से कई बिंदु रखें ।

जिसमें कृषि के लिए प्रोत्साहन करने पर भी फोकस किया गया जंगली जानवरों से फसलों को हो रहे नुकसान पर भी चर्चा की गई सिंचाई के उचित प्रबंध करने पर भी फोकस किया गया किस तरह से उन्नतशील बीज और किसानों को प्रशिक्षण देने पर चर्चा हुई।

 

 इन तमाम बिंदुओं पर चर्चा की गई मंत्री प्रसाद मैथानी का कहना है  कि जगदीश शिला यात्रा के दौरान भारी तादाद में यात्रा में शामिल होते हैं।  ऐसे में यात्रा में शामिल होने लोगों को बंजर पड़े खेतों के बारे में बताया जाएगा और संकल्प कराया जाएगा 

आपको बता दे कि उत्तराखंड में पर्वतीय क्षेत्र के लोगों के लिए कृषि एक प्रमुख आजीविका का स्रोत रहा है इस दृष्टिकोण से कृषि को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि एक महत्वपूर्ण आजीविका का साधन है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करता है। यहाँ की कृषि मुख्य रूप से छोटे पैमाने पर होती है, जिसमें स्थानीय किसान अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए फसलें उगाते हैं।

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि की विशेषताएं:

1. छोटे पैमाने पर कृषि: अधिकांश किसान छोटे पैमाने पर कृषि करते हैं, जिसमें उनके परिवार के सदस्य भी शामिल होते हैं।
2. परंपरागत फसलें: यहाँ के किसान परंपरागत फसलें जैसे कि मक्का, गेहूं, जौ, और धान उगाते हैं।
3. फल और सब्जियां: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में फल और सब्जियों की खेती भी की जाती है, जैसे कि सेब, नाशपाती, और आलू।
4. पशुपालन: पशुपालन भी यहाँ के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आजीविका का साधन है।
5. जैविक कृषि: उत्तराखंड में जैविक कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे किसानों को अपनी फसलों के लिए अच्छे दाम मिल सकें।
6. सरकारी समर्थन: राज्य सरकार किसानों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से समर्थन प्रदान करती है, जैसे कि कृषि ऋण, बीज और उर्वरकों की सब्सिडी।

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि के चुनौतियाँ

1. भौगोलिक चुनौतियाँ: पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि करना मुश्किल होता है क्योंकि यहाँ की जमीन ढलान वाली होती है।
2. जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण यहाँ की फसलें प्रभावित होती हैं।
3. सिंचाई की कमी: पर्वतीय क्षेत्रों में सिंचाई की कमी होती है, जिससे फसलों को पानी की कमी होती है।
4. बाजार तक पहुंच: यहाँ के किसानों को अपनी फसलें बाजार तक पहुंचाने में मुश्किल होती है।

इन चुनौतियों के बावजूद, उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि एक महत्वपूर्ण आजीविका का साधन है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करता है।

 

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