गढ़वाल राइफलस रिटायर हुए सबेदार रमेश सिंह रावत
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गढ़वाल राइफलस रिटायर हुए सबेदार रमेश सिंह रावत
सोहन सिंह
बड़े हर्ष का विषय हैँ,कि भारतीय सेना में 24 वर्षो क़े सेवाकाल क़े पश्चात (HONY)नायब सूबेदार रमेश सिंह रावत का(19 गढ़वाल राइफल )से सेवानिवृत्त होकर अपने मूल निवास ग्राम सभा जोंज”करछो”तपोवन विकासखंड(तहसील)जोशीमठ में भव्य स्वागत,सम्मान एवं अभिनन्दन समारोह का आयोजन सफल हुआ कार्यक्रम को सफल बनाने क़े लिए आप सभी शुभचिंतक,ईष्ट मित्रगण,एवं समस्त ग्रामवासी का बहुत बहुत आभार जताया
भगवती प्रसाद थपलियाल (को-ऑर्डिनेटर सूबेदार सेवानिवृत)उत्तराखंड संनिर्माण एवं कर्मकार बोर्ड क़े सदस्य कृष्णमणी थपलियाल पीसीसी सदस्य कमल रतूड़ी,सेवानिवृत बीईओ धूम सिंह राणा,ओम प्रकाश डोभाल,निवर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष जोशीमठ सेलेन्द्र पंवार आदि पूर्व सैनिक संघटन, छेत्रीय जनप्रतिनिधि,ब्लॉक परिसर क़े अधिकारी-गण, कर्मचारी,एवं समस्त शुभचिंतक,ईष्ट मित्र गण मौजूद रहे
उत्तराखंड गढ़वाल राइफल्स भारतीय सेना की एक प्रतिष्ठित इन्फेंट्री रेजिमेंट है, जिसकी स्थापना 1887 में हुई थी। इस रेजिमेंट का नाम उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र से लिया गया है, जो अपनी सुंदरता और वीरता के लिए जाना जाता है।
गढ़वाल राइफल्स की विशेषताएं:
1. बहादुरी और वीरता: गढ़वाल राइफल्स के जवान अपनी बहादुरी और वीरता के लिए जाने जाते हैं।
2. परंपरा और संस्कृति: रेजिमेंट की अपनी विशिष्ट परंपरा और संस्कृति है, जो उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़ी हुई है।
3. युद्ध में भूमिका: गढ़वाल राइफल्स ने कई युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिनमें द्वितीय विश्व युद्ध, 1962 का चीन-भारत युद्ध, और 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध शामिल हैं।
4. सम्मान और पुरस्कार: रेजिमेंट को कई सम्मान और पुरस्कार मिले हैं, जिनमें परमवीर चक्र, महावीर चक्र, और वीर चक्र शामिल हैं।
गढ़वाल राइफल्स की महत्वपूर्ण युद्ध भागीदारी:
1. द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945)
2. 1962 का चीन-भारत युद्ध
3. 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध
4. कारगिल युद्ध (1999)
5. आतंकवाद विरोधी अभियान (जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व भारत)
गढ़वाल राइफल्स की यूनिटें:
1. 18वीं बटालियन (गढ़वाल राइफल्स)
2. 19वीं बटालियन (गढ़वाल राइफल्स)
3. 20वीं बटालियन (गढ़वाल राइफल्स)
4. 21वीं बटालियन (गढ़वाल राइफल्स)
5. 22वीं बटालियन (गढ़वाल राइफल्स)
गढ़वाल राइफल्स की स्थापना और इतिहास के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप आधिकारिक वेबसाइट या इतिहास पुस्तकों का संदर्भ ले सकते हैं।