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Sangeet Samman samaroh संगीत सम्मान समारोह का हुआ आयोजन

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Sangeet Samman samaroh संगीत सम्मान समारोह का हुआ आयोजन

ब्यूरो  रिपोर्ट

राजधानी देहरादून के एससीईआरटी के सभागार में दो दिवसीय संगीत समारोह का आयोजन किया गया। संगीत सम्मान समारोह के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने हिस्सा लिया।

 

इस मौके पर एससीईआरटी के निदेशक आशा रानी पैन्यूली भी मौजूद रही ।

 

संगीत सम्मान समारोह के विशिष्ट अस्तित्व के तौर पर प्रसिद्ध गीतकार संगीता  ढौंडियाल ने भी हिस्सा लिया सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने अपने संबोधन में कहा आज आधुनिक जीवन में लोग अपने पारंपरिक संगीत और संगीत के शास्त्र को भूलते जा रहे हैं।

 

ऐसे में आने वाली पीढ़ी को संगीत के सभी पहलुओं से रूबरू कराना  आवश्यक है उनका कहना है कि उत्तराखंड सरकार प्रदेश में फिल्म निर्माण के लिए पहले 25 लख रुपए सब्सिडी देती थी किस बढ़कर 2 करोड रुपए कर दिया गया है।

 

कला संस्कृति संगीत के धरोहर के लिए यह एक बहुत बड़ा प्रयास है। उनका कहना है कि जिस तरह से योग करने से मनुष्य का शरीर स्वस्थ रहता है  उसी तरह से संगीत मनुष्य के मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है कि आज के युवाओं को अपनी संगीत के संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए तभी संगीत का संवर्धन हो सकता है ।

उनका कहना है कि संगीत संरक्षण के लिए कई तरह के प्रयास किया जा रहे हैं एससीईआरटी के अपर निदेशक कार्यक्रम के संचालक आशा रानी पैन्यूली का कहना है कि संगीत एक कला है संगीत के प्रतिभाशाली युवाओं को सम्मानित करने के लिए दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। डॉ अविनाश

उत्तराखंड के पारंपरिक संगीत में कई विशिष्ट और आकर्षक रूप हैं, जो राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं। यहाँ कुछ प्रमुख पारंपरिक संगीत रूप हैं:

*पारंपरिक संगीत रूप*

1. *जागर*: जागर एक पारंपरिक संगीत रूप है, जो उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित है। इसमें देवी-देवताओं की स्तुति और पूजा के लिए गीत गाए जाते हैं।
2. *चैपड़ा*: चैपड़ा एक पारंपरिक संगीत रूप है, जो उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में प्रचलित है। इसमें गीतों के साथ नृत्य किया जाता है।
3. *पंवड़ा*: पंवड़ा एक पारंपरिक संगीत रूप है, जो उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में प्रचलित है। इसमें गीतों के साथ नृत्य किया जाता है।
4. *लंग्विर नृत्य*: लंग्विर नृत्य एक पारंपरिक नृत्य रूप है, जो उत्तराखंड के थारू समुदाय में प्रचलित है। इसमें पुरुष और महिलाएं साथ में नृत्य करते हैं।
5. *धुरा नृत्य*: धुरा नृत्य एक पारंपरिक नृत्य रूप है, जो उत्तराखंड के जौनसारी समुदाय में प्रचलित है। इसमें पुरुष और महिलाएं साथ में नृत्य करते हैं।

*वाद्य यंत्र*

उत्तराखंड के पारंपरिक संगीत में कई वाद्य यंत्रों का उपयोग किया जाता है, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

1. *ढोल*: ढोल एक पारंपरिक वाद्य यंत्र है, जो उत्तराखंड के पारंपरिक संगीत में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
2. *नगाड़ा*: नगाड़ा एक पारंपरिक वाद्य यंत्र है, जो उत्तराखंड के पारंपरिक संगीत में उपयोग किया जाता है।
3. *मंजीरा*: मंजीरा एक पारंपरिक वाद्य यंत्र है, जो उत्तराखंड के पारंपरिक संगीत में उपयोग किया जाता है।
4. *बाँसुरी*: बाँसुरी एक पारंपरिक वाद्य यंत्र है, जो उत्तराखंड के पारंपरिक संगीत में उपयोग किया जाता है।

उत्तराखंड का पारंपरिक संगीत राज्य की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह संगीत राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित है और विभिन्न अवसरों पर गाया जाता है।

 

कार्यक्रम में दिनेश गौड़ आनंद भारद्वाज आदि मौजूद रहे 

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