भारतीय संस्कृति और परंपरा क्यों है महत्वपूर्ण
1 min readभारतीय संस्कृति और परंपरा क्यों है महत्वपूर्ण
सुशील कुमार झा
लंढोरा l चमन लाल महाविद्यालय में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (ICPR)द्वारा एक व्याख्यान आयोजित किया गया जिसका विषय स्वतंत्रता पूर्व भारत का सामाजिक दर्शन था कार्यक्रम का शुभारंभ महा विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष राम कुमार शर्मा ने मां सरस्वती के आगे दीप प्रज्वलित कर किया
तत्पश्चात कार्यक्रम समन्वयक डॉ. दीपा अग्रवाल एवं डॉ. नीतू गुप्ता एवं डॉ. किरण शर्मा ने अतिथियों को बुके देकर स्वागत और अभिनंदन किया l कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रोफेसर आदित्य गौतम, हरिओम पीजी डिग्री कॉलेज धनौरी एवं डॉ. संजय माहेश्वरी एसएम जैन डिग्री कॉलेज हरिद्वार उपस्थित रहे l
डॉ. गौतम ने अपने व्याख्यान में बताया कि समाज में परिवार की उपयोगिता कितनी महत्वपूर्ण है घर के लिए सबका अपना-अपना अलग-अलग महत्व है सभी को मिलजुल कर रहना चाहिए और मिल बांट कर खाना चाहिए आगे उन्होंने बताया कि यह पृथ्वी हमें जल एवं अन्य संसाधन प्रदान करती है अतः हमें इसका भी सम्मान करना चाहिए धर्म और कर्म पर भी उन्होंने बौद्ध के जन्म से जुड़ी हुई बातों से अवगत कराया l
उन्होंने एक कहानी के माध्यम से अब्राहम नाम के व्यक्ति के विषय में ईश्वर से जुड़े हुए तथ्यों से अवगत कराया l इसी क्रम में उन्होंने आगे महिला की दिशा और दशा पर भी जोर दिया रजिया सुल्तान एवं इंदिरा गांधी से जुड़े हुए तथ्यों से अवगत कराया किस प्रकार नारी संपूर्ण जगत को अपने में समेटे हुए हैं ।
नारी शक्ति अगर प्रबल होगी तभी समाज में सुधार संभव हो सकेगा l देश जातियों में बटा हुआ है हमें इन नारी को जातियों से मुक्त करना होगा l इसी श्रृंखला में दूसरे वक्ता के रूप में डॉ माहेश्वरी ने बताया कि किस प्रकार स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन से राष्ट्र में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में भारतीय सनातन संस्कृति की ध्वज पताका फैलाई उन्होंने आगे बताया कि किस प्रकार आजादी से पूर्व जो भी कार्य हुए जैसे सती प्रथा विधवा विवाह के बारे में उन्होंने बताया कि किस तरीके के कानून उस समय बनाए गए
जिसमें राजा राममोहन राय ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई l इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती का जो नारा था वेदों की ओर लौटो उस पर भी प्रकाश डाला नेपोलियन बोनापार्ट के विषय पर भी उन्होंने प्रकाश डाला कि किस प्रकार उन्होंने अपने संघर्ष से राष्ट्र को गति प्रदान की l तथा उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात बताई कि समय के विपरीत जाकर जो व्यक्ति कार्य करता है।
वही समय में परिवर्तन कर पाते हैं क्योंकि नजरिया बदलने की जरूरत है गुरु नानक जैसे महान पुरुषों का जन्म किस प्रकार हुआ और किस प्रकार उन्होंने राष्ट्र की उन्नति में अपना सहयोग दिया इस विषय पर भी उन्होंने प्रकाश डाला l कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय प्रबंध समिति के सचिव डॉ. अरुण हरित जी ने स्मृति चिन्ह एवं सोल भेंट कर उनका स्वागत किया l
महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. दीपा अग्रवाल ने बाहर से आए हुए सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया l इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त शिक्षक एवं गैर शिक्षक कर्मचारी उपस्थित रहे l