ग्रीष्मकालीन अवकाश का मानदेय ना मिलने पर अतिथि शिक्षकों ने जताया आक्रोश, कार्यबहिष्कार का किया ऐलान
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ग्रीष्मकालीन अवकाश का मानदेय ना मिलने पर अतिथि शिक्षकों ने जताया आक्रोश, कार्यबहिष्कार का किया ऐलान
ब्यूरो रिपोर्ट
माध्यमिक अतिथि शिक्षकों ने ग्रीष्मकालीन अवकाश का मानदेय ना मिलने पर नाराजगी जाहिर की है माध्यमिक अतिथि शिक्षक संघ का कहना है कि कोई ऐसा शासनादेश नहीं है जिसमें इस बात का उल्लेख किया गया है कि ग्रीष्मकालीन अवकाश होने पर उन्हें मानदेय नहीं दिया जाएगा।
ऐसे में अतिथि शिक्षकों ने आक्रोश जाहिर करते हुए कहा है कि अगर उनके उन्हें मानदेय नहीं दिया गया तो 15 जुलाई कार्य बहिष्कार करेंगेऔर विरोध प्रदर्शन करेंगे ।
अतिथि शिक्षक संघ का कहना है कि नियमित शिक्षकों की भांति वह विद्यालय में समस्त शिक्षक कार्यों को करते हुए अतिरिक्त कार्य को करते हैं। मगर उनके साथ सौतेला रवैया अपनाया जा रहा है ।
प्रदेश के अलग-अलग जिलों से अतिथि शिक्षक संघ ने शिक्षा निदेशालय को पत्र भेजा है और सरकार से मांग की है कि उन्हें ग्रीष्मकालीन अवकाश का मानदेय दिया जाए।
आपको बता दें कि प्रदेश के सभी जिलों में अतिथि शिक्षक 2015 से कार्यरत हैं मगर ऐसे में उन्हें ग्रीष्मकालीन अवकाश का मानदेय नहीं दिया जा रहा है।
मई और जून का मानदेय न मिलने पर उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि उनके साथ विभाग सौतेला रवैया अपना रहा है ।
अतिथि शिक्षक संघ का कहना है कि प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में खासतौर से पिथौरागढ़ चंपावत चमोली उत्तरकाशी पौड़ी और टिहरी के सुदूर क्षेत्र में जो शिक्षक कार्यरत हैं उनके सामने 2 महीने का मानदेय न मिलने की वजह से भरी दिक्कतें आ रही है क्योंकि शिक्षक के मानदेय से ही उनका घर परिवार चलता है और 2 महीने का मानदेय न मिलने से कई तरह की दिक्कतों का सामना कर कर रहे हैं।
अतिथि माध्यमिक शिक्षक संघ ने सरकार से मांग की है कि तत्काल उनकी मांगों पर विचार करते हुई 2 महीने का मानदेय दिया जाए। उन्होंने सरकार से मांग की है। जिस तरह से उनकी मांगों को गंभीरता के साथ में पहले भी सुना गया है ऐसे में उनकी मांगों के बारे में तत्काल विचार करते हुए मई और जून माह का वेतनमान जारी किया जाए अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि अतिथि शिक्षकों के सामने कई तरह की दिक्कतें आ रही है क्योंकि उनका 2 महीने का मानदेय निर्गत नहीं हो रहा है उनका कहना है कि अगर उनकी मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार नहीं किया गया तो 15 जुलाई से वे अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार करेंगे ।इसके लिए शिक्षा विभाग जिम्मेदार होगा। विद्यालयों में शिक्षण कार्य के अतिरिक्त दूसरा कार्य नहीं करेंगे।